श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 69: नारद मुनि द्वारा द्वारका में भगवान्  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  10.69.13 
 
 
तस्मिन् समानगुणरूपवय:सुवेष-
दासीसहस्रयुतयानुसवं गृहिण्या ।
विप्रो ददर्श चमरव्यजनेन रुक्‍म-
दण्डेन सात्वतपतिं परिवीजयन्त्या ॥ १३ ॥
 
अनुवाद
 
  उस महल में विद्वान ब्राह्मण ने सात्वत पति श्रीकृष्ण को उनकी पत्नी के साथ देखा। उनकी पत्नी सोने के हैंडल वाली याक की पूँछ से उन्हें हवा दे रही थीं। वे स्वयं उनकी सेवा कर रही थीं, यद्यपि उनकी सेवा के लिए एक हज़ार दासियाँ थीं जो उनके समान ही चरित्र, सौंदर्य, यौवन और सुंदर पोशाक में थीं।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.