श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 68: साम्ब का विवाह  »  श्लोक 50-51
 
 
श्लोक  10.68.50-51 
 
 
दुर्योधन: पारिबर्हं कुञ्जरान् षष्टिहायनान् ।
ददौ च द्वादशशतान्ययुतानि तुरङ्गमान् ॥ ५० ॥
रथानां षट्‍सहस्राणि रौक्‍माणां सूर्यवर्चसाम् ।
दासीनां निष्ककण्ठीनां सहस्रं दुहितृवत्सल: ॥ ५१ ॥
 
अनुवाद
 
  अपनी पुत्री को बहुत मानने वाले दुर्योधन ने उसे दहेज में 1,200 साठ वर्षीय हाथी, 1,20,000 घोड़े, सूर्य के समान चमकते 6,000 सुनहरे रथ और 1,000 दासी दीं, जिनके गले में रत्न जड़ित हार शोभायमान था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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