अपने शहर को समुद्र में बहावदार तख्ते की तरह इधर-उधर डगमगाते और गंगा नदी में गिरते देखकर, सभी कौरव भयभीत हो गए। वे अपने प्राण बचाने के लिए अपने परिवारों को लेकर भागते हुए भगवान् श्रीकृष्ण की शरण में चले गए। श्रीकृष्ण के सामने वे साम्ब और लक्ष्मणा को लेकर विनम्रतापूर्वक हाथ जोड़कर खड़े हो गए।