श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 68: साम्ब का विवाह  »  श्लोक 42-43
 
 
श्लोक  10.68.42-43 
 
 
जलयानमिवाघूर्णं गङ्गायां नगरं पतत् ।
आकृष्यमाणमालोक्य कौरवा: जातसम्भ्रमा: ॥ ४२ ॥
तमेव शरणं जग्मु: सकुटुम्बा जिजीविषव: ।
सलक्ष्मणं पुरस्कृत्य साम्बं प्राञ्जलय: प्रभुम् ॥ ४३ ॥
 
अनुवाद
 
  अपने शहर को समुद्र में बहावदार तख्ते की तरह इधर-उधर डगमगाते और गंगा नदी में गिरते देखकर, सभी कौरव भयभीत हो गए। वे अपने प्राण बचाने के लिए अपने परिवारों को लेकर भागते हुए भगवान् श्रीकृष्ण की शरण में चले गए। श्रीकृष्ण के सामने वे साम्ब और लक्ष्मणा को लेकर विनम्रतापूर्वक हाथ जोड़कर खड़े हो गए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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