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श्लोक 40
श्लोक
10.68.40
अद्य निष्कौरवं पृथ्वीं करिष्यामीत्यमर्षित: ।
गृहीत्वा हलमुत्तस्थौ दहन्निव जगत्त्रयम् ॥ ४० ॥
अनुवाद
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क्रुद्ध बलराम ने कहा, "आज मैं पृथ्वी से कौरवों की जाति का विनाश करने जा रहा हूँ!" यह कहते हुए वे अपना हल उठाकर उग्र हो गए मानो तीनों लोकों को जलाने के लिए जा रहे हों।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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