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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ
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अध्याय 68: साम्ब का विवाह
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श्लोक 36
श्लोक
10.68.36
यस्य पादयुगं साक्षाच्छ्रीरुपास्तेऽखिलेश्वरी ।
स नार्हति किल श्रीशो नरदेवपरिच्छदान् ॥ ३६ ॥
अनुवाद
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“समस्त ब्रह्मांड की अधिष्ठात्री स्वयं देवी लक्ष्मी ही उनके चरणों की वंदना करती है। ऐसे में क्या उन लक्ष्मी के पति को एक मर्त्य राजा की साज-सज्जा नहीं शोभती है?”
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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