श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 68: साम्ब का विवाह  »  श्लोक 35
 
 
श्लोक  10.68.35 
 
 
सुधर्माक्रम्यते येन पारिजातोऽमराङ्‍‍घ्रिप: ।
आनीय भुज्यते सोऽसौ न किलाध्यासनार्हण: ॥ ३५ ॥
 
अनुवाद
 
  “वही कृष्ण जो सुधर्मा सभाभवन के अधिकारी हैं और जिन्होंने अपने आनन्द के लिए अमर देवताओं से पारिजात वृक्ष ले लिया—क्या वही कृष्ण राजसिंहासन पर बैठने के योग्य नहीं हैं?
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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