श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 68: साम्ब का विवाह  »  श्लोक 30
 
 
श्लोक  10.68.30 
 
 
द‍ृष्ट्वा कुरूणां दौ:शील्यं श्रुत्वावाच्यानि चाच्युत: ।
अवोचत् कोपसंरब्धो दुष्प्रेक्ष्य: प्रहसन् मुहु: ॥ ३० ॥
 
अनुवाद
 
  कुरुओं के दुष्ट आचरण को देखकर और उनके अपशब्दों को सुनकर अच्युत भगवान बलराम क्रोध से भर गए। उनका चेहरा देखने में भयावह था और वे बार-बार हंसते हुए बोले।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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