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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ
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अध्याय 68: साम्ब का विवाह
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श्लोक 18
श्लोक
10.68.18
तेऽतिप्रीतास्तमाकर्ण्य प्राप्तं रामं सुहृत्तमम् ।
तमर्चयित्वाभिययु: सर्वे मङ्गलपाणय: ॥ १८ ॥
अनुवाद
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यह सुनकर कि उनके हृदयेश मित्र बलराम आ पहुँचे हैं, वे हर्षित हुए और सबसे पहले उन्होंने उद्धव का आदरसत्कार किया। तत्पश्चात् वे अपने हाथों में शुभ भेंटों को लेकर प्रभु से मिलने के लिए प्रस्थान कर गये।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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