श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 67: बलराम द्वारा द्विविद वानर का वध  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  10.67.5 
 
 
क्व‍‍चित् समुद्रमध्यस्थो दोर्भ्यामुत्क्षिप्य तज्जलम् ।
देशान् नागायुतप्राणो वेलाकूले न्यमज्जयत् ॥ ५ ॥
 
अनुवाद
 
  एक अन्य बार वह समुद्र में प्रवेश किया और दस हजार हाथियों के बल के बराबर अपने बाहों से उसके पानी को मथ डाला और इस प्रकार समुंदर तटीय क्षेत्रों को जलमग्न कर दिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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