श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 67: बलराम द्वारा द्विविद वानर का वध  »  श्लोक 28
 
 
श्लोक  10.67.28 
 
 
एवं निहत्य द्विविदं जगद्‍व्य‌‍‍तिकरावहम् ।
संस्तूयमानो भगवान् जनै: स्वपुरमाविशत् ॥ २८ ॥
 
अनुवाद
 
  द्विविद को मारकर, जिसने सारे संसार में उपद्रव मचाया था, भगवान् अपनी राजधानी लौट आए और रास्ते में सभी लोगों ने उनका गुणगान किया।
 
 
इस प्रकार श्रीमद् भागवतम के स्कन्ध दस के अंतर्गत सतासठ अध्याय समाप्त होता है ।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.