श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 67: बलराम द्वारा द्विविद वानर का वध  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  10.67.22 
 
 
एवं युध्यन् भगवता भग्ने भग्ने पुन: पुन: ।
आकृष्य सर्वतो वृक्षान् निर्वृक्षमकरोद् वनम् ॥ २२ ॥
 
अनुवाद
 
  इस प्रकार भगवान से युद्ध करते हुए द्विविद जिस-जिस वृक्ष से भगवान पर हमला करता, वह बार-बार उसी तरह से नष्ट हो जाता। तभी उसने चारों ओर से वृक्षों को उखाड़ना शुरू कर दिया और तब तक उखाड़ता रहा जब तक कि पूरा जंगल वृक्षविहीन नहीं हो गया।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.