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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ
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अध्याय 67: बलराम द्वारा द्विविद वानर का वध
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श्लोक 18
श्लोक
10.67.18
तं तु सङ्कर्षणो मूर्ध्नि पतन्तमचलो यथा ।
प्रतिजग्राह बलवान् सुनन्देनाहनच्च तम् ॥ १८ ॥
अनुवाद
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किन्तु भगवान संकर्षण पर्वत की तरह स्थिर रहे और अपने सिर पर गिरते हुए लट्ठे को तुरंत पकड़ लिया। तत्पश्चात् उन्होंने द्विविद पर अपनी सुनंदा गदा से प्रहार किया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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