श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 67: बलराम द्वारा द्विविद वानर का वध  »  श्लोक 17
 
 
श्लोक  10.67.17 
 
 
द्विविदोऽपि महावीर्य: शालमुद्यम्य पाणिना ।
अभ्येत्य तरसा तेन बलं मूर्धन्यताडयत् ॥ १७ ॥
 
अनुवाद
 
  बलवान द्विविद भी संग्राम करने हेतु आगे बढ़ा। एक हाथ से शाल वृक्ष को उखाड़कर वह बलराम के पास दौड़ा और उस वृक्ष के तने से उनके सिर पर प्रहार किया।
 
 
 
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