श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 67: बलराम द्वारा द्विविद वानर का वध  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  10.67.1 
 
 
श्रीराजोवाच
भुयोऽहं श्रोतुमिच्छामि रामस्याद्भ‍ुतकर्मण: ।
अनन्तस्याप्रमेयस्य यदन्यत् कृतवान् प्रभु: ॥ १ ॥
 
अनुवाद
 
  यशस्वी राजा परीक्षित बोले: मैं अनन्त तथा अपार भगवान् श्रीबलराम के विषय में और आगे सुनना चाहता हूँ, जिनके सभी कार्य विस्मयकारी हैं। उन्होंने और क्या-क्या किया?
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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