श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 66: पौण्ड्रक—छद्म वासुदेव  »  श्लोक 6
 
 
श्लोक  10.66.6 
 
 
यानि त्वमस्मच्चिह्नानि मौढ्याद् बिभर्षि सात्वत ।
त्यक्त्वैहि मां त्वं शरणं
नो
चेद् देहि ममाहवम् ॥ ६ ॥
 
अनुवाद
 
  हे सात्वत, त्याग दो मेरे निजी चिह्नों को, जिन्हें मूर्खतावश तुम अब धारण करते हो, और मेरी शरण में आ जाओ। यदि तुम ऐसा नहीं करते, तो युद्ध करो मुझसे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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