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अध्याय 66: पौण्ड्रक—छद्म वासुदेव
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श्लोक 42
श्लोक
10.66.42
दग्ध्वा वाराणसीं सर्वां विष्णोश्चक्रं सुदर्शनम् ।
भूय: पार्श्वमुपातिष्ठत् कृष्णस्याक्लिष्टकर्मण: ॥ ४२ ॥
अनुवाद
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पूरी वाराणसी नगरी को राख कर देने के बाद भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र सहजभाव से बिना किसी चेष्टा के काम करने वाले श्रीकृष्ण के पास वापस लौट आया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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