श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 66: पौण्ड्रक—छद्म वासुदेव  »  श्लोक 41
 
 
श्लोक  10.66.41 
 
 
चक्रं च विष्णोस्तदनुप्रविष्टं
वाराणसीं साट्टसभालयापणाम् ।
सगोपुराट्टालककोष्ठसङ्कुलां
सकोशहस्त्यश्वरथान्नशालिनीम् ॥ ४१ ॥
 
अनुवाद
 
  भगवान विष्णु का चक्र अग्नि के समान असुर का पीछा करते हुए वाराणसी नगर में घुस गया, और नगर को भस्म कर डाला। नगर में सभाभवन, अट्टालिकाओं सहित आवासीय महल, सारे बाजार, नगरद्वार, बुर्जियाँ, भण्डार, खजाने, हथसाल, घुड़साल, रथसाल और अनाज के गोदाम सब जलकर राख हो गए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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