श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 66: पौण्ड्रक—छद्म वासुदेव  »  श्लोक 40
 
 
श्लोक  10.66.40 
 
 
कृत्यानल: प्रतिहत: स रथाङ्गपाणे-
रस्त्रौजसा स नृप भग्नमुखो निवृत्त: ।
वाराणसीं परिसमेत्य सुदक्षिणं तं
सर्त्विग्जनं समदहत् स्वकृतोऽभिचार: ॥ ४० ॥
 
अनुवाद
 
  भगवान कृष्ण के हथियार की शक्ति से हताश, हे राजन, काले जादू से पैदा किया गया वह आग जैसा प्राणी अपना चेहरा मोड़कर चला गया। फिर हिंसा के लिए पैदा किया गया वह राक्षस वाराणसी लौट गया, जहाँ उसने शहर को घेर लिया और सुदक्षिण और उसके पुजारियों को जलाकर मार डाला, हालाँकि सुदक्षिण ही उसे पैदा करने वाला था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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