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अध्याय 66: पौण्ड्रक—छद्म वासुदेव
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श्लोक 38
श्लोक
10.66.38
सर्वस्यान्तर्बहि:साक्षी कृत्यां माहेश्वरीं विभु: ।
विज्ञाय तद्विघातार्थं पार्श्वस्थं चक्रमादिशत् ॥ ३८ ॥
अनुवाद
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सर्वशक्तिमान प्रभु, सबों के अंतर और बाहरी गवाह समझे गए कि यह दानव भगवान शिव द्वारा यज्ञ की अग्नि से उत्पन्न हुआ है। इस राक्षस का नाश करने के लिए कृष्ण ने अपनी बगल में प्रतीक्षा कर रहे अपने सुदर्शन चक्र को प्रेषित किया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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