श्रुत्वा तज्जनवैक्लव्यं दृष्ट्वा स्वानां च साध्वसम् ।
शरण्य: सम्प्रहस्याह मा भैष्टेत्यवितास्म्यहम् ॥ ३७ ॥
अनुवाद
जब भगवान कृष्ण ने लोगों की व्याकुलता सुनी और देखा कि उनके अपने लोग भी बेचैन हैं, तो उन एकमात्र सर्वश्रेष्ठ शरणदाता ने हँसते हुए उनसे कहा, "मत डरो, मैं तुम्हारी रक्षा करूँगा।"