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अध्याय 66: पौण्ड्रक—छद्म वासुदेव
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श्लोक 36
श्लोक
10.66.36
अक्षै: सभायां क्रीडन्तं भगवन्तं भयातुरा: ।
त्राहि त्राहि त्रिलोकेश वह्ने: प्रदहत: पुरम् ॥ ३६ ॥
अनुवाद
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भय से किंकर्तव्यविमूढ़ लोग उस समय राज-दरबार में चौसर खेल रहे भगवान् के पास दौड़े और चिल्लाते हुए बोले, "हे तीनों लोकों के स्वामी, नगर को जलाने वाली इस अग्नि से हमारी रक्षा कीजिये! रक्षा कीजिये!"
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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