प्रीतोऽविमुक्ते भगवांस्तस्मै वरमदाद् विभु: ।
पितृहन्तृवधोपायं स वव्रे वरमीप्सितम् ॥ २९ ॥
अनुवाद
पूजा से प्रसन्न होकर अत्यंत शक्तिशाली भगवान् शिव अविमुक्त नामक पवित्र स्थल में दर्शन देकर सुदक्षिण से मनचाहे वरदान माँगने को कहा। राजकुमार ने वरदान के रूप में अपने पिता के हत्यारे को मारने के साधन का चयन किया।