श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 66: पौण्ड्रक—छद्म वासुदेव  »  श्लोक 26
 
 
श्लोक  10.66.26 
 
 
राज्ञ: काशीपतेर्ज्ञात्वा महिष्य: पुत्रबान्धवा: ।
पौराश्च हा हता राजन् नाथ नाथेति प्रारुदन् ॥ २६ ॥
 
अनुवाद
 
  हे राजन, जब लोगों ने पहचाना कि यह उनके राजा - काशी के स्वामी - का सिर है, तो उसकी रानियाँ, बेटे और अन्य रिश्तेदार, साथ ही शहर के सभी निवासी “हाय ! हम मारे गये ! हे स्वामी, हे स्वामी !” कह कर विलाप करने लगे ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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