राज्ञ: काशीपतेर्ज्ञात्वा महिष्य: पुत्रबान्धवा: ।
पौराश्च हा हता राजन् नाथ नाथेति प्रारुदन् ॥ २६ ॥
अनुवाद
हे राजन, जब लोगों ने पहचाना कि यह उनके राजा - काशी के स्वामी - का सिर है, तो उसकी रानियाँ, बेटे और अन्य रिश्तेदार, साथ ही शहर के सभी निवासी “हाय ! हम मारे गये ! हे स्वामी, हे स्वामी !” कह कर विलाप करने लगे ।