श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 66: पौण्ड्रक—छद्म वासुदेव  »  श्लोक 23
 
 
श्लोक  10.66.23 
 
 
एवं मत्सरिणं हत्वा पौण्ड्रकं ससखं हरि: ।
द्वारकामाविशत् सिद्धैर्गीयमानकथामृत: ॥ २३ ॥
 
अनुवाद
 
  इस प्रकार ईर्ष्यालु पौण्ड्रक और उसके सहयोगी का वध करके भगवान कृष्ण द्वारका लौट आये। जैसे ही वे नगर में प्रवेश किये स्वर्ग से सिद्धों ने उनकी अमर, अमृतमयी महिमा का गान किया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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