एवं मत्सरिणं हत्वा पौण्ड्रकं ससखं हरि: ।
द्वारकामाविशत् सिद्धैर्गीयमानकथामृत: ॥ २३ ॥
अनुवाद
इस प्रकार ईर्ष्यालु पौण्ड्रक और उसके सहयोगी का वध करके भगवान कृष्ण द्वारका लौट आये। जैसे ही वे नगर में प्रवेश किये स्वर्ग से सिद्धों ने उनकी अमर, अमृतमयी महिमा का गान किया।