श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 66: पौण्ड्रक—छद्म वासुदेव  »  श्लोक 17
 
 
श्लोक  10.66.17 
 
 
कृष्णस्तु तत्पौण्ड्रककाशिराजयो-
र्बलं गजस्यन्दनवाजिपत्तिमत् ।
गदासिचक्रेषुभिरार्दयद् भृशं
यथा युगान्ते हढतभुक् पृथक् प्रजा: ॥ १७ ॥
 
अनुवाद
 
  किन्तु भगवान् कृष्ण ने पौण्ड्रक और काशिराज की सेना पर जबरदस्त हमला किया जिसमें हाथी, रथ, घुड़सवार और पैदल सैनिक शामिल थे। भगवान् ने अपनी गदा, तलवार, सुदर्शन चक्र और बाणों से अपने शत्रुओं को उसी तरह मार गिराया जैसे युग के अंत में प्रलय की आग कई तरह के प्राणियों को मार देती है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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