वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ
»
अध्याय 66: पौण्ड्रक—छद्म वासुदेव
»
श्लोक 15
श्लोक
10.66.15
दृष्ट्वा तमात्मनस्तुल्यं वेषं कृत्रिममास्थितम् ।
यथा नटं रङ्गगतं विजहास भृशं हरि: ॥ १५ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
जब राजा ने ठीक भगवान् हरि की तरह ही अपना वेश बना लिया था, बिल्कुल वैसा ही जैसा कोई मंच पर अभिनेता करता है, तो यह देखकर भगवान् हरि बहुत हँसे।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.