श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 65: बलराम का वृन्दावन जाना  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  10.65.9 
 
 
गोप्यो हसन्त्य: पप्रच्छू रामसन्दर्शनाद‍ृता: ।
कच्चिदास्ते सुखं कृष्ण: पुरस्‍त्रीजनवल्ल‍भ: ॥ ९ ॥
 
अनुवाद
 
  [शुकदेव गोस्वामी ने आगे कहा]: भगवान बलराम के दर्शनों से गौरवान्वित गोपियों ने मुस्कुराते हुए उनसे पूछा, "नगर की स्त्रियों के प्यारे कृष्ण सुखी तो हैं?"
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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