तब बलराम जी ने अपने से बड़े ग्वालों को समुचित सम्मान दिया और जो छोटे थे उन्होंने उनका सादर सत्कार किया। वे आयु, मैत्री की कोटि तथा पारिवारिक संबन्ध के अनुसार प्रत्येक से हँसकर व हाथ मिलाकर स्वयं मिले। तत्पश्चात विश्राम कर लेने के बाद उन्होंने सुखद आसन ग्रहण किया और सारे लोग उनके चारों ओर एकत्र हो गये। उनके प्रति प्रेम से रुद्ध वाणी से उन ग्वालों ने, जिन्होंने कमल-नेत्र कृष्ण को सर्वस्व अर्पित कर दिया था, अपने (द्वारका के) प्रियजनों के स्वास्थ्य के विषय में पूछा। बदले में बलराम जी ने ग्वालों की कुशल-मंगल के विषय में पूछा।