वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ
»
अध्याय 65: बलराम का वृन्दावन जाना
»
श्लोक 32
श्लोक
10.65.32
वसित्वा वाससी नीले मालामामुच्य काञ्चनीम् ।
रेये स्वलङ्कृतो लिप्तो माहेन्द्र इव वारण: ॥ ३२ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
भगवान बलराम ने नीले वस्त्र और गले में सोने का हार पहना। सुगंधित तेल लगाकर और नाना प्रकार के आभूषणों से सजकर वो इंद्र के शाही हाथी जितने ही सुंदर दिखने लगे।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.