ततो व्यमुञ्चद् यमुनां याचितो भगवान् बल: ।
विजगाह जलं स्त्रीभि: करेणुभिरिवेभराट् ॥ ३० ॥
अनुवाद
[शुकदेव गोस्वामी ने कहा] : तब बलराम ने यमुना नदी को छोड़ दिया और जैसे हाथियों का राजा हथिनी के झुंड के साथ जल में प्रवेश करता है, उसी प्रकार वे अपनी संगिनियों के साथ नदी के जल में प्रवेश कर गए।