श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 65: बलराम का वृन्दावन जाना  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  10.65.19 
 
 
वरुणप्रेषिता देवी वारुणी वृक्षकोटरात् ।
पतन्ती तद् वनं सर्वं स्वगन्धेनाध्यवासयत् ॥ १९ ॥
 
अनुवाद
 
  देवता वरुण के आदेश से भेजी गई दिव्य वारुणी मदिरा पेड़ के खोखलेपन से बहने लगी और अपनी सुगंधित गंध से पूरे जंगल को और भी सुगंधित बना दिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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