श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 64: राजा नृग का उद्धार  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  10.64.9 
 
 
श्रीशुक उवाच
इति स्म राजा सम्पृष्ट: कृष्णेनानन्तमूर्तिना ।
माधवं प्रणिपत्याह किरीटेनार्कवर्चसा ॥ ९ ॥
 
अनुवाद
 
  शुकदेव जी कहते हैं कि अनंत रूप वाले कृष्ण के इस प्रकार पूछने पर सूर्य के समान चमकता मुकुट पहने हुए राजा ने माधव को नमन किया और इस प्रकार बोला।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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