श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 64: राजा नृग का उद्धार  »  श्लोक 7
 
 
श्लोक  10.64.7 
 
 
पप्रच्छ विद्वानपि तन्निदानं
जनेषु विख्यापयितुं मुकुन्द: ।
कस्त्वं महाभाग वरेण्यरूपो
देवोत्तमं त्वां गणयामि नूनम् ॥ ७ ॥
 
अनुवाद
 
  भगवान कृष्ण यद्यपि परिस्थिति को समझ गये थे, किन्तु सामान्य लोगों को सूचना देने के लिए उन्होंने पूछा, "हे महाभाग्यशाली, तुम कौन हो? तुम्हारे इस सुन्दर रूप को देखकर मैं सोच रहा हूँ कि तुम निश्चित ही किसी महान देवता हो।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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