श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 64: राजा नृग का उद्धार  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  10.64.5 
 
 
तत्रागत्यारविन्दाक्षो भगवान् विश्वभावन: ।
वीक्ष्योज्जहार वामेन तं करेण स लीलया ॥ ५ ॥
 
अनुवाद
 
  ब्रह्मांड के पालनकर्ता, कमलनेत्र भगवान, उस कुएँ के पास गए और वहाँ उसे एक छिपकली दिखाई दी। तत्पश्चात, उन्होंने अपने बाएँ हाथ से उसे सहजता से बाहर निकाला।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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