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श्लोक 10.64.44  |
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एवं विश्राव्य भगवान् मुकुन्दो द्वारकौकस: ।
पावन: सर्वलोकानां विवेश निजमन्दिरम् ॥ ४४ ॥ |
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अनुवाद |
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इस प्रकार द्वारका के निवासियों को उपदेश देकर, समस्त लोकों को पवित्र करने वाले भगवान् मुकुन्द अपने महल में गए। |
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इस प्रकार श्रीमद् भागवतम के स्कन्ध दस के अंतर्गत चौंसठ अध्याय समाप्त होता है । |
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