चर्मजैस्तान्तवै: पाशैर्बद्ध्वा पतितमर्भका: ।
नाशक्नुरन् समुद्धर्तुं कृष्णायाचख्युरुत्सुका: ॥ ४ ॥
अनुवाद
उन्होंने उस फँसी हुई छिपकली को चमड़े की पट्टियों और सूत की रस्सियों से पकड़ने का प्रयास किया, परन्तु वे उसे बाहर नहीं निकाल पाये। अतः वे भगवान कृष्ण के पास गए और उत्साहित होकर उन्हें उस जीव के बारे में बताया।