श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 64: राजा नृग का उद्धार  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  10.64.22 
 
 
एतस्मिन्नन्तरे यामैर्दूतैर्नीतो यमक्षयम् ।
यमेन पृष्टस्तत्राहं देवदेव जगत्पते ॥ २२ ॥
 
अनुवाद
 
  हे देवराज, हे ब्रह्मांड के स्वामी, अवसर का फ़ायदा उठाकर यमराज के दूत मुझे बाद में यमराज के निवास ले गए। वहाँ स्वयं यमराज ने मुझसे पूछा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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