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अध्याय 64: राजा नृग का उद्धार
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श्लोक 16
श्लोक
10.64.16
कस्यचिद् द्विजमुख्यस्य भ्रष्टा गौर्मम गोधने ।
सम्पृक्ताविदुषा सा च मया दत्ता द्विजातये ॥ १६ ॥
अनुवाद
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एक बार एक श्रेष्ठ ब्राह्मण की गाय भटककर मेरे झुंड में आ गई। इस बात से अनजान मैं उसे दूसरे ब्राह्मण को दान में दे दिया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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