श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 64: राजा नृग का उद्धार  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  10.64.16 
 
 
कस्यचिद् द्विजमुख्यस्य भ्रष्टा गौर्मम गोधने ।
सम्पृक्ताविदुषा सा च मया दत्ता द्विजातये ॥ १६ ॥
 
अनुवाद
 
  एक बार एक श्रेष्ठ ब्राह्मण की गाय भटककर मेरे झुंड में आ गई। इस बात से अनजान मैं उसे दूसरे ब्राह्मण को दान में दे दिया।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.