श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 64: राजा नृग का उद्धार  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  10.64.13 
 
 
पयस्विनीस्तरुणी: शीलरूप-
गुणोपपन्ना: कपिला हेमश‍ृङ्गी: ।
न्यायार्जिता रूप्यखुरा: सवत्सा
दुकूलमालाभरणा ददावहम् ॥ १३ ॥
 
अनुवाद
 
  मैंने दान में जो गायें और उनके बछड़े दिए, वे जवान, भूरी, दूध देने वाली थीं। वे अच्छे आचरण वाली और सुंदर थीं। उनके कई अच्छे गुण थे। उन्हें ईमानदारी से कमाया गया था। उनके सींग सोने से मढ़े थे और खुर चाँदी से। वे सुंदर सजावटी वस्त्रों और मालाओं से अलंकृत थीं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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