श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 64: राजा नृग का उद्धार  »  श्लोक 12
 
 
श्लोक  10.64.12 
 
 
यावत्य: सिकता भूमेर्यावत्यो दिवि तारका: ।
यावत्यो वर्षधाराश्च तावतीरददं स्म गा: ॥ १२ ॥
 
अनुवाद
 
  मैंने दान में उतनी गायें दीं जितनी कि पृथ्वी पर बालू के कण हैं, आकाश में तारे हैं या फिर बारिश की एक बूँद में हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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