श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 63: बाणासुर और भगवान् कृष्ण का युद्ध  »  श्लोक 51
 
 
श्लोक  10.63.51 
 
 
अक्षौहिण्या परिवृतं सुवास:समलङ्कृतम् ।
सपत्नीकं पुरस्कृत्य ययौ रुद्रानुमोदित: ॥ ५१ ॥
 
अनुवाद
 
  तत्पश्चात् भगवान् श्रीकृष्ण ने अपनी पार्टी के आगे अनिरुद्ध और उनकी पत्नी को सजा रखा जिन्हें सुंदर कपड़ों और आभूषणों से खूबसूरती से सजाया गया था और उनके चारों ओर एक पूर्ण सैन्य दल था। इस तरह भगवान् श्रीकृष्ण ने भगवान शिव से विदा ली और प्रस्थान कर दिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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