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अध्याय 63: बाणासुर और भगवान् कृष्ण का युद्ध
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श्लोक 49
श्लोक
10.63.49
चत्वारोऽस्य भुजा: शिष्टा भविष्यत्यजरामर: ।
पार्षदमुख्यो भवतो न कुतश्चिद्भयोऽसुर: ॥ ४९ ॥
अनुवाद
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यह असुर, जिसके अभी भी चार भुजाएँ हैं, वह वृद्धावस्था और मृत्यु से बचा रहेगा, और वह आपके प्रमुख सेवक के रूप में सेवा करेगा। इस प्रकार उसे किसी भी कारण से भय नहीं रहेगा ।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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