श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 63: बाणासुर और भगवान् कृष्ण का युद्ध  »  श्लोक 44
 
 
श्लोक  10.63.44 
 
 
तं त्वा जगत्स्थित्युदयान्तहेतुं
समं प्रशान्तं सुहृदात्मदैवम् ।
अनन्यमेकं जगदात्मकेतं
भवापवर्गाय भजाम देवम् ॥ ४४ ॥
 
अनुवाद
 
  हे भगवान, हमारी भौतिक जीवन से मुक्ति के लिए हम आपकी आराधना करते हैं। आप ब्रह्मांड के पालनकर्ता और इसके सृजन और विनाश के कारण हैं। आप समभाव और पूर्ण शांति से परिपूर्ण, वास्तविक मित्र, आत्मा और पूजनीय स्वामी हैं। आप अद्वितीय हैं और सभी दुनियाओं और आत्माओं के आश्रय हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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