श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 63: बाणासुर और भगवान् कृष्ण का युद्ध  »  श्लोक 43
 
 
श्लोक  10.63.43 
 
 
अहं ब्रह्माथ विबुधा मुनयश्चामलाशया: ।
सर्वात्मना प्रपन्नास्त्वामात्मानं प्रेष्ठमीश्वरम् ॥ ४३ ॥
 
अनुवाद
 
  मैं, ब्रह्मा, अन्य देवता और पवित्र हृदय वाले ऋषि-मुनि, हम सभी ने पूरी श्रद्धा से तुम्हारी शरण ली है। हे प्रिय आत्मन् और स्वामी!
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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