श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 63: बाणासुर और भगवान् कृष्ण का युद्ध  »  श्लोक 40
 
 
श्लोक  10.63.40 
 
 
यन्मायामोहितधिय: पुत्रदारगृहादिषु ।
उन्मज्जन्ति निमज्जन्ति प्रसक्ता वृजिनार्णवे ॥ ४० ॥
 
अनुवाद
 
  आपकी माया से मोहित बुद्धि वाले लोग अपने बच्चों, पत्नी, घर आदि में पूरी तरह से आसक्त होकर, भौतिक दुखों के समुद्र में डूबे हुए, कभी ऊपर उठ पाते हैं तो कभी डूब जाते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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