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स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ
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अध्याय 63: बाणासुर और भगवान् कृष्ण का युद्ध
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श्लोक 37
श्लोक
10.63.37
तवावतारोऽयमकुण्ठधामन्
धर्मस्य गुप्त्यै जगतो हिताय ।
वयं च सर्वे भवतानुभाविता
विभावयामो भुवनानि सप्त ॥ ३७ ॥
अनुवाद
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हे असीम शक्ति के प्रभु, भौतिक जगत में आपका वर्तमान अवतार न्याय एवं सदाचार को बनाए रखने तथा समस्त ब्रह्मांड का कल्याण करने हेतु हुआ है। हम देवता, आपकी कृपा और शक्ति पर निर्भर हैं तथा आपके मार्गदर्शन में सात लोकों को संचालित करते हैं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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