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स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ
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अध्याय 63: बाणासुर और भगवान् कृष्ण का युद्ध
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श्लोक 32
श्लोक
10.63.32
तस्यास्यतोऽस्त्राण्यसकृच्चक्रेण क्षुरनेमिना ।
चिच्छेद भगवान् बाहून् शाखा इव वनस्पते: ॥ ३२ ॥
अनुवाद
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बाण के एक के बाद एक हथियार चलाने पर परमेश्वर ने अपने तीखे चक्र का प्रयोग करके बाणासुर की भुजाओं को काट डाला, वे टहनियाँ की तरह टूटती जा रही थीं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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