श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 63: बाणासुर और भगवान् कृष्ण का युद्ध  »  श्लोक 29
 
 
श्लोक  10.63.29 
 
 
श्रीभगवानुवाच
त्रिशिरस्ते प्रसन्नोऽस्मि व्येतु ते मज्ज्वराद् भयम् ।
यो नौ स्मरति संवादं तस्य त्वन्न भवेद् भयम् ॥ २९ ॥
 
अनुवाद
 
  ईश्वर ने कहा : हे तीन सिर वाले ! मैं तुम पर प्रसन्न हूँ। मेरा ज्वर अस्त्र तुम पर न लगने का वर मिल जाए और फिर जो भी हमारी इस बातचीत को याद रखेगा उसे तुमसे कोई डर न रहे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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