श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 63: बाणासुर और भगवान् कृष्ण का युद्ध  »  श्लोक 25
 
 
श्लोक  10.63.25 
 
 
ज्वर उवाच
नमामि त्वानन्तशक्तिं परेशं
सर्वात्मानं केवलं ज्ञप्तिमात्रम् ।
विश्वोत्पत्तिस्थानसंरोधहेतुं
यत्तद् ब्रह्म ब्रह्मलिङ्गं प्रशान्तम् ॥ २५ ॥
 
अनुवाद
 
  शिवज्वर ने कहा: हे असीम शक्तियों वाले, सभी प्राणियों के परमात्मा भगवान, मैं तुम्हारे चरणों में नमन करता हूं। तुम शुद्ध और पूर्ण चेतना से परिपूर्ण हो और सृष्टि, पालन और विनाश के कारण हो। तुम पूर्ण शांतिपूर्ण हो और परम सत्य हो जिसका वेद अप्रत्यक्ष रूप से उल्लेख करते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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