श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 63: बाणासुर और भगवान् कृष्ण का युद्ध  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  10.63.22 
 
 
विद्राविते भूतगणे ज्वरस्तु त्रिशिरास्‍त्रीपात् ।
अभ्यधावत दाशार्हं दहन्निव दिशो दश ॥ २२ ॥
 
अनुवाद
 
  जब शिवजी के अनुचर भगा दिए गए, तो तीन सिर और तीन पैर वाला शिवज्वर कृष्ण पर चढ़ाई करने के लिए आगे बढ़ा। जैसे ही शिवज्वर नज़दीक आया तो ऐसा लगा जैसे वह दसों दिशाओं में जो कुछ भी है, सबको जला देगा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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