विद्राविते भूतगणे ज्वरस्तु त्रिशिरास्त्रीपात् ।
अभ्यधावत दाशार्हं दहन्निव दिशो दश ॥ २२ ॥
अनुवाद
जब शिवजी के अनुचर भगा दिए गए, तो तीन सिर और तीन पैर वाला शिवज्वर कृष्ण पर चढ़ाई करने के लिए आगे बढ़ा। जैसे ही शिवज्वर नज़दीक आया तो ऐसा लगा जैसे वह दसों दिशाओं में जो कुछ भी है, सबको जला देगा।